फ्यू डिकेड्स ऑफ़ अंडरवर्ल्ड - भाग - ६९ - १८ अक्टूबर २०२५



नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब ? आप सब जानते ही हो तीसरा हप्ते में हम बात करते हे अंडरवर्ल्ड के उस खतरनाक और दर्दभरे आंतक और उसके सामने लड़नेवाले जांबाजो की| अभी दिवाली का  जश्न चल रहा है लेकिन कहानी में अभी भी रावण का खतरा बाकि था |तो चलिए  आज की कहानी शुरू करते है|

RAW की इमारत में सन्नाटा था। लेकिन साया जानता था — इब्राहिम हार मानने वालों में से नहीं था। उसे पकड़ना जीत नहीं, एक दरवाज़ा था उस सोच तक जो अब कई चेहरों में बदल चुकी थी।

🗂️ साया ने इब्राहिम से बरामद एक पुरानी डायरी खोली। उसमें एक नाम बार-बार लिखा था — “परछाई।”
एक अंडरग्राउंड नेटवर्क जो सिर्फ एक मिशन पर काम करता था: भारत की साइबर और इंटेलिजेंस प्रणाली को ध्वस्त करना।

“इब्राहिम तो मोहरा था,” साया ने कहा। “असल खेल अब शुरू हुआ है।”

🔍 आरव ने डायरी के कोड्स को डिकोड किया। एक लोकेशन मिली — उत्तराखंड के जंगलों में एक पुराना रेडियो टावर।
वहीं से “परछाई” अपने सिग्नल भेजता था।

🛰️ माया ने सैटेलाइट से उस इलाके की स्कैनिंग की। एक अजीब सी गतिविधि दिखी — रात के समय वहां से रेडियो तरंगें निकल रही थीं, जो पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमाओं तक पहुंचती थीं।

“ये सिर्फ सिग्नल नहीं हैं,” माया ने कहा। “ये एक कमांड है — जैसे कोई सोई हुई सेना को जगा रहा हो।”

🧠 साया ने टीम वज्र को फिर एक्टिव किया। इस बार मिशन था — “परछाई का जाल” तोड़ना।

मिशन: “परछाई का जाल”

🚁 टीम वज्र एक हेलिकॉप्टर से उत्तराखंड के जंगलों में उतरी।
चारों तरफ घना जंगल, ठंडी हवा, और एक अजीब सी खामोशी।

कैप्टन वीर ने कहा, “यहां कुछ है — जो दिखता नहीं, लेकिन महसूस होता है।”

🌲 कुछ किलोमीटर अंदर, उन्हें एक गुफा मिली। उसके अंदर था एक पुराना कंट्रोल रूम — लेकिन चालू हालत में।

🖥️ आरव ने सिस्टम को हैक किया। स्क्रीन पर एक चेहरा उभरा — नकाब में, लेकिन आँखें जानी-पहचानी थीं।

“मैं ही हूँ परछाई,” उस आवाज़ ने कहा। “तुमने इब्राहिम को पकड़ा, लेकिन मैं हर उस सोच में ज़िंदा हूँ जो नफ़रत से पैदा होती है।”

💡 तभी साया ने एक ट्रिक खेली। उसने सिस्टम में एक फीड डाला — देशभर के स्कूलों में चल रहे साइबर अवेयरनेस प्रोग्राम्स की लाइव क्लिप्स।

“देख, ये हैं वो बच्चे जो अब तुम्हारी सोच को पहचानते हैं,” साया ने कहा। “तू जितनी बार जाल बुनता है, हम उतनी बार उसे काटते हैं।”

📡 परछाई ने एक आखिरी सिग्नल भेजा — एक कोड जो देश के तीन बड़े सर्वर फॉर्म्स को क्रैश कर सकता था।

लेकिन आरव तैयार था। उसने एक “मिरर ट्रैप” बनाया — जैसे ही कोड एक्टिव हुआ, वो खुद को उल्टा करके परछाई के सिस्टम में घुस गया।

💥 कंट्रोल रूम में ब्लास्ट हुआ — लेकिन टीम वज्र पहले ही बाहर निकल चुकी थी।

साया की परछाई

🌄 अगली सुबह, उत्तराखंड की घाटियों में सूरज निकला।
परछाई का नेटवर्क खत्म हो चुका था। लेकिन साया जानता था — ये आखिरी नहीं था।

RAW के हेडक्वार्टर में एक नई फाइल खुली — “Project Dhwaj”
एक मिशन जो देश के युवाओं को साइबर सुरक्षा, मानसिक मजबूती और रणनीतिक सोच में प्रशिक्षित करेगा।

📣 साया ने एक वीडियो मैसेज रिकॉर्ड किया — जो देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में दिखाया गया।

“तबाही की सोच को हराने के लिए हमें बंदूक नहीं, बुद्धि चाहिए।
हर वो बच्चा जो सवाल पूछता है, हर वो युवा जो सच्चाई जानना चाहता है — वही असली योद्धा है।”

🎓 माया और आरव अब ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में शामिल हो गए।
कैप्टन वीर ने एक नई यूनिट बनाई — “वज्र 2.0” — जो अब सिर्फ लड़ाई नहीं, रणनीति सिखाएगी।

अंतिम दृश्य

🌌 एक पहाड़ी पर, साया अकेला खड़ा था।
हवा में ठंडक थी, लेकिन उसकी आँखों में गर्मी — उम्मीद की।

एक बच्चा उसके पास आया और पूछा, “आप कौन हैं?”

साया मुस्कुराया, “मैं वो हूँ जो तब आता है जब अंधेरा ज़्यादा गहरा हो जाए।”

बच्चे ने कहा, “क्या आप फिर आएंगे?”

साया ने आसमान की तरफ देखा — जैसे किसी नई परछाई को पहचान रहा हो।

“मैं कहीं नहीं गया,” उसने कहा। “मैं हर उस सोच में हूँ जो उजाले की तरफ बढ़ती है।”

वो फिर गायब हो गया — एक साया की तरह।

अगले हफ्ते देखेंगे की क्या होगा| तब तक  आप का कोई सजेशन और कमेंट हो तो मुझे मेरे सोश्यल मिडिया पे मुझे दे शकते हो मेरी सॉयल मिडिया प्रोफाइल की लिंक्स निचे दी हे | अंत में आप सभी का दिल से शुक्रिया और साथ ही साथ मेरे सोशयल मिडिया पार्टनर्स का भी दिल से धन्यवाद् क्योकि उनलोगो के बिना ना में ये सब लिख पाता |


 


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